राजपूत काल का इतिहास
राजपूत शब्द कहां से लिया गया है इसके विषय में विद्वानों में मतभेद है।
राजपूत शब्द प्राचीन नहीं है इसका पता मध्यकाल से चलता है इसके कारण विद्वानों ने राजपूतो की उत्पत्ति के विषय में अपने अपने हिसाब से मत दिए हैं।
कुछ विद्वान इन्हें प्राचीन क्षत्रिय वंश से संबंधित मानते हैं जबकि कुछ अन्य के अनुसार यह क्षत्रिय बनाए गए थे।
राजपूत उत्पत्ति का विदेशी मत:-
कर्नल टॉड राजपूतों की उत्पत्ति मध्य एशिया के सीथियन जाति से मानते हैं और उन्होंने इसका कारण उनके रीति-रिवाजों, शस्त्र पूजा व युद्ध नीति में समानता बताया है।
कैम्पवेल नामक विद्वान के अनुसार राजपूत गुर्जर थे उनकी उत्पत्ति मध्य एशिया में स्थित खजर कबीले से हुई।
चंदबरदाई ने अपने ग्रंथ पृथ्वीराज रासो में प्रतिहार,चालुक्य, परमार, चौहानों की उत्पत्ति वशिष्ठ, गौतम, अगस्त्य आदि ऋषियों की यज्ञ की रक्षा के लिए अग्नि कुंड से होने की बात कही है।
इसी को आधार मानकर कुछ विदेशी विद्वानों ने विदेशियों को अग्निकुंड से शुद्ध करके भारतीयों की रक्षा का उत्तरदायित्व देने की बात कही है। स्मिथ नामक विद्वान भी इससे सहमत हैं।उनके अनुसार अस्त्र पूजा,अश्व पूजा, गाय रखना यह सब विदेशी प्रथा है।
परंतु आधुनिक खोजों से यह पता चला है कि ये प्रथाएं प्राचीन काल से भारत में थीं।
भारतीय मत:-
भारतीय विद्वान राजपूतों की उत्पत्ति भारत से मानते हैं क्योंकि 12 वीं सदी के पूर्व अग्निकुंड से उत्पत्ति (शुद्धीकरण) का कहीं कोई प्रमाण नहीं मिलता है।चाहमान , परमार और प्रतिहार के अनेक लेखों में इन्हें सोमवंशी या सूर्यवंशी कहा गया है।
हम्मीर महाकाव्य के अनुसार चाहमान या चौहान सूर्यवंशी थे।
कुछ विद्वान राजपूतों की ब्राह्मणों से उत्पत्ति का समर्थन करते हैं उनके अनुसार इनके पूर्वज वत्स गोत्र के ब्राह्मण थे प्रतिहार अभिलेख में इसका उल्लेख मिलता है।
डॉ गौरीशंकर ओझा व कुछ अन्य विद्वान राजपूतों को प्राचीन भारतीय क्षत्रियों के वंशज मानते हैं।
अभिलेखों में राजपूतों की ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों से उत्पन्न होने के समर्थन में साक्ष्य प्राप्त होते हैं जो पूर्णतया भारतीय हैं, परंतु विदेशियों से उत्पन्न होने का कोई भी साक्ष्य नहीं मिलता।
अग्नि कुंड से उत्पन्न होने का विचार उन्हें अधिक महिमामंडित करने का ही प्रयास जान पड़ता है।
राजपूतों के अनेक राजवंश हुए जिनमें प्रतिहार,गहड़वाल,चंदेल,परमार, मौखरी,चाहमान,कल्चुरी,चालुक्य(सोलंकी) आदि प्रमुख हैं।
इन्हें भी देखें:-