चेर राजवंश
चेर राजवंश का राज्य जहां पर स्थित था जहां वर्तमान समय में केरल राज्य स्थित है। वर्तमान में बोली जाने वाली मलयालम भाषा का क्षेत्र प्राचीन चेर राज्य के क्षेत्र में स्थित था।
वर्तमान में केरल का कोचीन, पुदुकोट्ट, मद्रास का मालाबार और त्रावनकोर का क्षेत्र प्राचीन चेर राज्य के क्षेत्र पर स्थित है।
चेर राज्य की उत्पत्ति का विषय अत्यंत अंधकार पूर्ण है। कुछ विद्वान इन्हें द्रविड़ जाति का बताते हैं तो कुछ क्षत्रिय।परंतु जो भी हो बाद में वे धीरे-धीरे क्षत्रियों की श्रेणी में आने लगे।
उसका उदाहरण उनके क्षत्रिय राजवंशों के साथ विवाह संबंध है।
इतिहास जानने के स्रोत:-
महेंद्र वर्मन का मत्त विलास प्रहसन, दामोदर रचित शिवविलास एवम् रामवरमविजय, अतुल का मूषकवंश, मलयालम भाषा की परंपराएं हैं।
इसके अलावा इनका वर्णन अशोक के शिलालेखों में मिलता है जिसमें उन्हें केरल पुत्र कहा गया है।
पहली सदी ईस्वी में चेरों का राजा पेरुनार हुआ जिसका युद्ध चोल शासकों के साथ हुआ और इस युद्ध में वह मारा गया।
बाद में अदाम नामक चेर राजा हुआ जिसने चोल शासक करिकाल की पुत्री से विवाह किया और उसका पुत्र सेनगुट्टवन हुआ इस प्रसंग का वर्णन तमिल ग्रंथ शिलप्पदिकारम में मिलता है।
सेनगुट्टवन एक शक्तिशाली शासक था। उसने अपने आसपास के पड़ोसी राज्यों को हराकर चेर राज्य का विस्तार किया।
आठवीं सदी में इनका पल्लवों के साथ संघर्ष प्रारंभ हुआ और उन्होंने इनके कुछ भागों को छीन लिया।
बाद में 10 वीं सदी में चोल राज्य ने चेर राज्य को अपने अधीन कर लिया।
13 वीं सदी में जब चोल राज्य की शक्ति कमजोर पड़ी तो पांड्यों ने चेर राज्य पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
मलिक काफूर के दक्षिण में आक्रमण के समय चेर राज्य का शासक रविवर्मन कुल शेखर था। इस अवसर पर उसने पांड्य और चोल से कुछ भाग छीन लिया।
रवि वर्मन के बाद चेर राज्य का ह्रास होने लगा।
चेर राज्य वर्तमान केरल राज्य पर स्थित है। वर्तमान मलयालम भाषा का क्षेत्र प्राचीन चेर राज्य के क्षेत्र में स्थित था।
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